सोमवार, 11 मार्च 2013

जातिगत आरक्षण

जहाँ जाति है वहीँ जातिगत आरक्षण नहीं है , जहाँ जाति खत्म हो चुकी है वहां आरक्षण ले रहे हैं आरक्षण ले चुके लोगो के जेनेरटर और ए सी में पले बढ़े और कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ी संतानें , तब मनुवादी ब्राह्मण थे अब मनु के शिष्य हर जाति में बन गए हैं सुविधानुसार |

ब्राह्मण धर्म परिवर्तन करके ईसाई या मुसलमान तो बन सकता है कायस्थ या कुर्मी नहीं, हरिजन के भजन गा गा के भी गाँधी गाँधी ही रहे, कुछ ब्राह्मणों के साथ अपना नाम जोड़ के खुद कों भी मनुवादी बना दिया | लेकिन मनुवादी तो सब बन सकते हैं वो सर्वज्ञानी हैं उसे सिर्फ शोषण करना और आपने कों श्रेष्ठ साबित करने के लिए जिद सीखने की जरुरत होती है, वो भी विरासत में मिल ही जाति है |

वरना धोबी तो आज भी कपड़ा प्रेस करने के लिए कोयला , कोयला दलाल से ही खरीदता है और उसका बेटा अनपढ़ रह धोबी ही बनता है , हम जरुर बजट के बाद कोयला के खुदरा मूल्यों की बजाये पर टन रेट की बात करते हों , ९ सिलिंडर जो मिलते हैं टैक्स देने वालों की कमी से| वाशिंग मशीन में कपड़े ठीक से साफ नहीं होते नहीं तो धोबी के बेटे को भी पढ़ लिख जाने देते , खैर कोई नहीं ५-१० साल में अच्छी वाली वाशिंग मशीन का आविष्कार हों जायेगा तो धोबी का पोते कों स्कूल हम जैसे मनुवादी ही भेजेंगे|

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