गुरुवार, 28 मार्च 2013

खब्बू


बचपन से अजीब अजीब सवाल:

1. तुम गलत हाथ क्यों इस्तेमाल करते हो ?

2. बाएं हाथ इस्तेमाल करने वाले शैतान होते हैं

3. क्या आप मुस्लिम हैं, बायें हाथ तो सिर्फ मुस्लिम इस्तेमाल करते हैं (this one was epic)

4. क्या दाहिने हाथ में कोई समस्या है , क्या आप अपाहिज हैं

5. अभी भी कोशिश करो, तुम दाहिने हाथ से लिखो

6. दाहिने हाथ से लिखो, बायें हाथ से लिखना अशुभ है

7. बाबु साहब मार के लिखवाइए
 बेटा से, अपने लिखने लगेगा दाहिने हाथ से
8.
अपने बायें हाथ को बांध के रखो बेटा १० दिन , दाहिने हाथ से लिखने लगोगे
9.
क्या तुम उसी हाथ से लिखते हो, जिससे तुम गन्दा काम करते हो , ये तो विद्या का अपमान है , तुम तो घिनौने हो|

और पता नहीं और कितने जो मैंने याद नहीं रखे | कितने लोग अभी भी बोलते हैं दाहिने हाथ से लिखो| इसके अलावा पता नहीं कितने गलत शब्द के पर्यायवाची जैसे ‘gauche’ और ‘sinister’ जैसे शब्द जिनका अर्थ गलत ही होता है| अगर आपने ‘word power made easy ‘ पढ़ी है तो ये समझ सकते हैं| खैर भाषा से बैर नहीं है , हिन्दी में दाहिने को दक्षिण कहा जाता तो इंग्लिश में बायें हाथ वालो को southpaw. तो भाषा की बात रहने देते हैं|

कैंची जो सिर्फ दक्षिण हाथ के लिए बनी है, आज तक मैं कभी ठीक से कुछ काट नहीं पाया, या तो दाहिने हाथ का इस्तेमाल करो या फिर किसी की मदत मांगो | कम लोगो को ही पता होगा कि कैंची दाहिने हाथ के हिसाब से बनी होती है और बायें हाथ से इस्तेमाल नहीं की जा सकती| लोगों को तो हमारे इस असमर्थता का अहसास तक नहीं होता, उनके लिए तो राम, अल्लाह और उनके नाम बेचने वाले तथाकथित छद्म धर्मनिरपेक्ष (pseudo Secular) लोग ही इंसान होते हैं |

फिर पोलो जैसे खेल हैं जहाँ तो हमें साफ़ निकाल दिया जाता है आपको , जैसे लिखा हों कुत्तों और खब्बुओं का आना मना है भई| जब चाय पीते हैं तो कप पर लगी तस्वीर भी हम नहीं देख पाते , दुनिया हमारे लिए बेरंग होती है |  कभी हम खुद की लिखावट पर हाथ फेर देते हैं, खैर उर्दू का उल्टा लिखा जाना ही कारण बना होगा उन सज्जन की सोच का|

मुझे १०वी के परीक्षा में मिला वो दायें हाथ वाला टेबल जिसके कारण मैं सिर्फ इस बात में ध्यान लगाते रह गया कि बैठे कैसे ३ घंटे तक , परीक्षा तो कब का गौण(secondary) हो चुका था , जिंदगी का पहली महत्वपूर्ण परीक्षा गौण था| सिर्फ कुछ लोगों के उस सोच के कारण जो दुनिया को सिर्फ अपने जैसा समझते हैं| 

बचपन से ही हर शुभ काम में दायें हाथ के उपयोग करने का हाथ: ये दोहराते रहता है कि लोग दुनिया के अपने जैसे होने के खयाल वाले मानिसक रोग से कितनी बुरी तरह ग्रसित है| उन्ही के लिए लिखना चाहता हूँ, हिन्दू मानते हैं कि परम पिता ब्रह्मा ने हम सबकी किस्मत हमारे ललाट पर बायें हाथ से लिखी हुई है | इसका अभिप्राय जो भी हो लेकिन यह अहसास कराता है कि खब्बू होना का इतिहास बहुत पुराना है , चाहे हमें अपनाया ना गया हो लेकिन हमारे होने को नकारा नहीं जा सकता |
इंजीनियरिंग में तो एक ड्राफ्टर महोदय होते हैं वो तो सीधा बोलते है आ कैसे गए तुम यहाँ , मैं तो तुमारे लिए हूँ ही नहीं , जब उनके ३ -४ पेंच खोल के उनको उल्टा किया तब जा के माने , प्राध्यापक ने बोला, वाह बन गए तुम इंजिनियर अभी से ही| अब कितनो के पेंच खोल खोल के ठीक करें हम|

बाकी धर्मो में भी हमें कोई शैतान तो कोई मौत का देवता बताता रहा है| उनके लिए हम गलत हैं और हमें आप के जैसे बनना चाहिए, कम से कम आपके जैसा होने का नौटंकी जरुर करना चाहिए| ऐसे आप जैसा बनने के दबाव में आ आ के हम कई मानसिक बीमारी के शिकार हो जाते हैं , आपको तो इसका अहसास भी ना होता होगा| अरे भई नहीं बनना आपकी तरह | क्यों बने भला| ना ही चाहिए कोई दया ना किसी को सिर्फ इसलिए वोट देंगे क्यों कि वो बायें हाथवाला है, हम आप जैसे ना सही पर आप में से ही हैं | भूलना मत|

अल्पसंख्यक सिर्फ जाति या धर्म के नाम पर ही क्यों ? क्या जिन्हें समाज के नियमों के कारण असुविधा होती है , उन्हें अल्पसंख्यक कहलाने का हक नहीं है?

खैर इतना सोचना भी जरुरी नहीं; हम संख्या में कम हों, लेकिन हमें अपने होने का अहसास है , हम कोशिश करते हैं कि हम एक सामान्य जिंदगी जीते रहे आप सही(dexterous) लोग की बनायी दुनिया में आपके जैसे दक्षिण हस्त वाले लोगो के सवाल का उत्तर शायद न हो परन्तु हममें कठिन परस्थितियों में भी जी सकने का जज्बा जरुर है; बिना रोये हुए|
ऐसा नहीं की सभी हमें कम ही मानते हों, कुछ दूसरे तरह के है, जिन्हें लगता है खब्बू बड़े होशियार होते हैं, बहुत तेज होते हैं, समाज में कुछ अलग कर के दिखाते हैं| चाहे कम या अधिक लेकिन हम कभी बराबर नहीं बैठाए गए | इनका बस चले तो मांगलिक की तरह, खब्बुयों की शादियाँ भी सिर्फ आपस में करवायें | खैर शैतानों कों बराबर में बैठाने या उनके साथ रहने का जोखिम कौन ले| 
कभी इंसान भी समझो, ना समझो तो भी हम तो जीयेंगे ही तुमारी दुनिया में तुमारे नियमों के साथ, तुमसे कदम से कदम मिला के|

(this article is also there on http://www.thefrustratedindian.com/blogs/entry/54-Khabbu.html)




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