बुधवार, 27 मार्च 2013

बस यूँ ही १८

इंसान को जीवन में कोई पूछता नहीं
लोग जाने कितनी प्रतिमाएं पूजते है

करता खुदा खुद को कितना बेबस महसूस 
लोग यहाँ बेखुदी से खुदा के नाम बेचते है

त्यौहार का तो महत्व था सद्भावना बढ़ाना
लोग तो इनमे भी गैरों का अपमान दुंडते हैं

होली भी अब कितनी बेरंग सी हो चली है
लोग तो रंगों में धार्मिक धारणाएं देखते हैं

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