इंसान को जीवन में कोई पूछता नहीं
लोग जाने कितनी प्रतिमाएं पूजते है
करता खुदा खुद को कितना बेबस महसूस
लोग यहाँ बेखुदी से खुदा के नाम बेचते है
त्यौहार का तो महत्व था सद्भावना बढ़ाना
लोग तो इनमे भी गैरों का अपमान दुंडते हैं
होली भी अब कितनी बेरंग सी हो चली है
लोग तो रंगों में धार्मिक धारणाएं देखते हैं
लोग जाने कितनी प्रतिमाएं पूजते है
करता खुदा खुद को कितना बेबस महसूस
लोग यहाँ बेखुदी से खुदा के नाम बेचते है
त्यौहार का तो महत्व था सद्भावना बढ़ाना
लोग तो इनमे भी गैरों का अपमान दुंडते हैं
होली भी अब कितनी बेरंग सी हो चली है
लोग तो रंगों में धार्मिक धारणाएं देखते हैं
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