Jane Bhi Do Yaaron
जिंदगी कुछ यूँ रही कि मौत बेहतर हो सके, उस मौत के इस इंतज़ार में जीना ही भूल बैठे
शुक्रवार, 8 मार्च 2013
बस यूँ ही ८
तरुवर से पत्तें यूँ तो नाराज़ न थे,
पतझड़ के मौसम की किस्मत ही कुछ ऐसी थी
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