Jane Bhi Do Yaaron
जिंदगी कुछ यूँ रही कि मौत बेहतर हो सके, उस मौत के इस इंतज़ार में जीना ही भूल बैठे
सोमवार, 25 मार्च 2013
बस यूँ ही १६
जाने क्यों आ रही है यूँ तेरी याद रह रह के,
कमबख्त नींद भी नही आती कि तेरे ख्वाब देखूँ|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें