Jane Bhi Do Yaaron
जिंदगी कुछ यूँ रही कि मौत बेहतर हो सके, उस मौत के इस इंतज़ार में जीना ही भूल बैठे
सोमवार, 11 मार्च 2013
बस यूँ ही १२
दंभ था उनमें किसी बात का, स्वभाव भी थोडा अख्खड़ सा प्रतीत होता था |
औरतों पर होते हुए जुर्म देख, अचंभित ना होने की आदत सी पड़ चुकी थी |
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