Jane Bhi Do Yaaron
जिंदगी कुछ यूँ रही कि मौत बेहतर हो सके, उस मौत के इस इंतज़ार में जीना ही भूल बैठे
मंगलवार, 5 मार्च 2013
बस यूँ ही ३
कोई मुझसे ना पूछे कि तू है क्यों तनहा
जो भीड़ में खोये हैं , वो मेरा एकांत क्या समझेंगे
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