गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

एक बिहारी की व्यथा


 “Cow is four footed domestic animal. It also has a mouth, two eyes, a nose, two horn and a long and narrow tail. Cows are found in almost all parts of the world. Cows are found in many colours, such as white, black and red, some are of mixed colours. In India We worship cow as goddess and mother.”

बचपन में परीक्षा मे अंग्रेजी में काउ पर लेख लिखने को आता था , मैं तो ऐसा ही कुछ लिखता था जो याद कर लिया था किसी और जानवर पर आ जाये तो भी इसी में कुछ जोड़ घटाव कर के बना कर लिख दो | ये ज्ञान तो रटन्त ही था, समझना तो परे था, लगता था, गाय गाय होता है दूध दूध होता है , मास्टर साहब काउ और मिल्क कह देने से कुछ अंतर पड़ जायेगा का, लेकिन नही जनाब बात हाई सोसाइटी का था गाय बोल दिया तो गाय ही समझा और शून्य दिया| वही  ५ लाइन रट के लेख लिखने वाला विद्वान | शायद शिक्षा प्रणाली का ही दोष है|

खैर नही समझा, मैं हर साल मैं अंग्रेजी में अनुतीर्ण होता गया और अंग्रेजो भारत छोडो आंदोलन पर भरोसा और पुख्ता होता गया| अंग्रेजी के हर लेक्चर मे वीर कुंवर की तलवार उठाने की ललक जागती थी , लेकिन अंग्रेज चले गए थे , हम में कुंवर सा न जज्बा था न हिम्मत , समानता थी दो. एक हम दोनो एक ही जिले मे पैदा हुए थे और दूसरी जितनी नफ़रत उन्हें अंग्रेजो से थी उतनी मुझे अंग्रेजी से |

फिर कही से स्वघोषित गुदरी के लाल का चरवाहा विद्यालय बैठ गया , फिर उन्होंने ने सारे बिहार को के बच्चों कों अंग्रेजी से निजात दिला दिया , अंग्रेजी क्लास १० की परीक्षा से हटा ली गयी थी , मालूम पड़ चुका था मुझे १० पास होने के लिए कायनात की ही साजिश है, लालू के रूप में खुद भगवान ही थे | अब मैं Non Matric के tag के साथ नही मरूंगा| Malcom gladwell का outlier फिर से याद आ गया था| वो नही लिखते तो मैं ही लिख देता था , लेकिन बात outliers की थी बहिर्वासी(outliers) की नही | बहुत बाद में मालूम पड़ा ये चरवाहा विद्यालय भैंस पर बैठ कर भैंस का चारा खाने के लिए ही बनाया गया था |

खैर अंग्रेजी में काउ पे लिखा यह लेख और इसकी बिना आवाज के मनोबल तोड़ने वाली लाठी, जाने कितने उत्तर भारतीयों को हिंदी माध्यम में आई ए एस बना चुका है | के पी ठाकुर साहब ही किताब थी बहुत बिकती थी आज भी बिकती है , जो हमें ये तो सिखाती थी  की “घोडा सड़क पर अडक कर भड़क गया” का अंग्रेजी क्या होता है लेकिन सहज अंग्रेजी में दो लाइन कैसे बोला जाये ये न सिखाती थी | अब या तो हिंदी में बोलिये या रोड पे घोडा अडकाइये| कुछ लोग और “डॉक्टर के आने के पहले रोगी मर चुका था” भी सीखा गए| अब तो फिर किसी का खून करिये और डॉक्टर बुलाईये, फिर ज्ञान आजमाइए| खैर हमने हिंदी बोलना ही उचित समझा, लेकिन बाकियों ने बहुत घोड़े अडकाये थे, आखिर आरा बिहार अश्वारोही पुलिस(Cavalry) का मुख्यालय जो था | अब समझ में आता है गलती के पी ठाकुर साहब के किताब की न थी हमें ही बीजगणित(algebra) के बीज(basics) से पहले कठिन गुणनखंड(Harder Factor; meaning advance concepts) सीखना था |

पता नही क्यों लोग दूसरों पर लेख लिख के अपनी जिंदगी का अर्थ निकालने कि नाकाम कोशिश करते रहते हैं , अगर करना ही है तो एक बार १०-१५ लाइन का लेख अपने ऊपर लिखिए या कोशिश कीजिये , बहुत बड़े राज का पर्दाफाश होगा , शायद आप अपनी पेशा और जीवन ही न बदल दे , अगर न भी करें तो एक नया नजरिया मिलेगा अपने बारे में अपनी सोच के बारे में| कभी कोशिश जरुर कीजियेगा|

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