गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

उलटे पांव वाली चुड़ैल

मैं एक ऐसी पीढ़ी से हूं , जिसने समय को बड़े तेजी से बदलते देखा है| आज हम कंप्यूटर पे काम करते हैं , बचपन से ही | बच्चो के होम वर्क मोबाइल पर आता है , नही बनाया तो गए बेटा बाप दोनों  | एक हमारा समय था (ज्यादा नही सिर्फ १५ साल पहले ) जिसने होम वर्क बनाया उसे मैं ऐसे देखता था की ये इस विद्यालय में क्यों आया , सब कुछ आता ही है तो सीधा कॉलेज चला जाये तथागत या वशिष्ट नारायण जी के तरह | आज कल , बच्चों से बचपन ही छीन जाता है , बेचारे नाना नानी दादा दादी से कहानियां भी नही सुन पाते| आज के Nuclear Family में बुजुर्गो के लिए जगह साल के १०-१५ दिन ही है, ३६५ दिनों के लिए कोई जगह नही बची| बच्चे के लिए गुलजार की  पोटली बाबा की  जगह Harry Potter , सीन चीन , बेन१० ने ले लिया है|

बचपन में बहुत कहानी सुनी थी, नाना प्रकार की कहानियां | आज कल Crossword और Landmark स्टोर तथा  amazon.com और  flipkart.com में मिलने वाली कहानियों की किताब से संस्कृति को आगे के पीढ़ी में ले जाना कितना सार्थक हो रहा है ये तो आने वाली पीढ़ी ही बताएगी |  हमारे समय में कुछ महानगरी बच्चों को Archies और टिनटिन का साथ था , वही चाचा चौधरी , सुपर कमांडो ध्रुव, नागराज और चंपक जैसी कहानियां  छोटे शहर वाले बच्चो में कौतुहल पैदा करती थी , वही देहातों में नाना नानी टाइप  कहानियों से काम चलता था | अजी काम क्या चलता था यूँ कहिये इनके सामने J K Rowling भी  फेल थीं | बात भाषा की नही थी , बात थी उस साम्राज्यवाद के खिलाफ जंग की जिसने भारत कों २ सदियो एक स्वतंत्र अर्थ व्यवस्था के बजाए कच्चे माल का श्रोत मात्र बना के रखा था | खैर वो अपने आप में एक अलग मुद्दा है , इस बचपन के मासूम विषय से इतने भारी भरकम समस्या कों अलग ही रखते हैं |

राजा रानी की कहानियां भी थी , राजकुमारी की कहानियां भी थी, कुछ कहानियां मन को बहलाने वाली होती थी , कुछ मन को झंझोरने वाली , कुछ जिंदगी के पाठ सिखाने वाली , तो कुछ बस यूँ ही कह देने वाली | समाज में कुछ ऐसी कहानियां सुनाने वाले भी थे| कुछ इन्ही कहानियां में से एक उलटे पांव वाली चुड़ैल के कहानी थी| कहानी बड़ी दिलचश्प भी हुआ करती थी और डरावनी भी | मरने से पहले  चाहे कितनी भी बदसूरत रही हो चुड़ैल बन के बड़ी खूबसूरत होती थी | शायद ये कल्पना ही थी पुरुष प्रधान समाज के उन बदकिस्मतो की ... और उन लोगो की भी जो अपनी बदसूरती ढांकने के लिए दूसरों कों चुड़ैल साबित करने में लगे रहते/रहती हैं | कहानियां आखिर आइना तो समाज का ही होती हैं | ऐसी कहानियां बड़ा रोमांच पैदा करती थी , छोटे से दिमाग का एक हिस्सा खुद कों व्योमकेश बक्शी (बड़े शहर वाले व्योमकेश की जगह Sherlock holmes पढ़ ले ) का अवतार समझ इन कहानियों की सच्चाई पता लगाने के लिए उकसाता था , वही एक बड़ा हिस्सा जो भारतीयों वोटरों के तरह ही था, बोलता था जाने दो जो जैसा है वैसे रहने दो शायद इनमें ही कोई सच्चाई हो |  दिमाग के किसी एक subconscious हिस्से में ये कहानियाँ घर कर गयी थी |

कभी ये समझ नही पाया ये चुडैलों के पैर दाये बाए उल्टा होता है या आगे पीछे , ऐसा नही था की मुझमे जानने की इच्छा नही थी , ये सवाल मैं कई बार मेरे दिमाग में आया था , कुछेक बार तो मैं पूछ भी लिया था , लेकिन चुड़ैल देख चुकने का दावा करने वाले लोगो में भी मतभेद था | खैर ९वी में जीव विज्ञान में जब classification of kingdom के बारे में पढ़ा तो समझा, हो सकता है चुड़ैल प्रजाति की भी दो स्पेसिएस होते होंगे |

इस बात का पर्दाफाश तब हुआ जब एक बार सुबह सुबह ३ बजे मेरा हैदराबाद जाना हुआ | अगर आपका भुत ज्ञान ठीक ठाक है या फिर आपने Haunted movie देखा है तो आप समझ गए होंगे ३ बजे भूतो की ताकत सबसे ज्यादा होती है| सुनसान एयर पोर्ट नाम भी ऐसा  , खुद ही असामयिक बम से मरे हैं चुड़ैल नही तो भुत तो बन के इधर ही होंगे | मेरी सिट्टी पिट्टी गुम , आगे देखा तो कई सारे पाँव के निशाँ सारे दाये बाये टाइप , उलटे होते तो समझा लेता कोई गया नही आया होगा ....सारे निशान औरतों के  थे , मैंने सोचा बेटा आज तो मौका मिल गया , अंदर के व्योमकेश की आत्मा मरे जा रही थी , दिल का धड़कने बढ़ गयी थी , दिल का दौरा तो पड़ने ही वाला था |

तभी किसी ने बोला वो देखो , आज हैदराबाद में फैशन शो है , सारी टॉप मॉडल कैट वाक करके जा रही है, पैर तों उलटे ही होंगे | मैंने सोच कैट वाक का नाम बदल देना चाहिए| दिल का दौरा तो शायद अभी पड़ने वाला था पर जान बच गयी थी | व्योमकेश फिर से जी उठा था | इन कहानियो का राज ऐसी ही लड़के लड़किया होंगी जो प्राचीन और मध्यकालीन भारत में मॉडल न बन पायी थी और सुनसान रातों में कैट वाक करती होंगी | एकाएक भुत और चुड़ैल से दिखने वाले अंग्रेज भारत कों भूतो और चुड़ैलो से निजात दिलाने वाले मसीहा लगने लगे थे |

जब ये चीजे काल्पनिक साबित हो गयी , फिर ऐसे कुछ चुड़ैले सुपर कमांडो ध्रुव और नागराज से दुश्मनी करने लगे , ज़माना बदला तो कुछ असल जीवन वाली चुड़ैलें राजनीती में आ गयी, मैं गलत था शायद मैंने हाथ या हाथी के खूबसूरती ही देखा था उनके पीछे के चुड़ैलों के इरादे की बदसूरती को नही  |

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