गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

बस यूँ ही २३

कुछ यूँ ही बिना लक्ष्य के दौड़ते रहते है जाने क्यों 
इससे बेहतर तो सदा जिंदगी थमी रहती बस यूँ ही

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