शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

एक सुन्दर समाज


2 तरह के लोग होते हैं एक जो क्रांति की बात करते हैं , दूसरे जो क्रांति करते हैं, इतिहास गवाह है कोई भी क्रांति सिर्फ हथियार से कामयाब नहीं होती , ताकत कलम की सर्वोच्च है| कोई भी मानसिकता पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढती है| जरुरत है कुछेक, जो गैर जरुरी हैं, उन पर रोक लगाया जाये| ठीक उसी तरह जैसे खर पतवार को बढ़ने से रोका जाता है , अगर खर पतवार को बचाने गए समुचा फसल बर्बाद हों जाता है| जैवीय खेती का मतलब फसल बर्बाद करना नहीं, कीटनाशक नहीं इस्तेमाल करना होता है , इस बात को समझना होगा| कीट नाशक नहीं डालना है तो मेहनत करना होगा , खेत में घुसना होगा , एक एक खर पतवार को पहचान के निकालना पड़ेगा|

जरुरी है नयी पीढ़ी को पकड़ के वो मौके दिये जाये ताकि वो समाज का उत्थान करे, खुद का भी | कोई भी बुराई बेमानी पुरानी से नयी पीढ़ी में न जा पाए| आदमी अच्छा है या नहीं, जरुरी नहीं, उसकी कौन सी बात सिखाना है कौन सा नहीं , ये रिश्ते नहीं निर्धारित करने चाहिए|

परिवार समाज की पहली पाठशाला है, अरस्तु की इस बात को दोहराने से ज्यादा जरुरी है इसे समझना , और समाज को सुधारने के लिए नयी पीढ़ी को उस जगह पर पकड़ना पड़ेगा, क्योंकि कुछ मानसिकता से जुडी बुराइयां इंसान माँ के पेट से लाए ना लाए , प्रथम विद्यालय जाने के पहले जरुर सीख लेता है , जो क्षति यहाँ हों जाती है , वो एक और पीढ़ी मायुश कर जाती है|

जब हमें अपनी बुराइयां नहीं देखनी होती और उसे किसी और के ऊपर डालना होता है तो हम समाज जैसे शब्द का सृजन कर लेते हैं, वर्ना अच्छाई तो हमेशा हमारी होती ही हैं समाज की नहीं|

बहुत आवश्यक है कि समाज के उन कम खुशकिस्मत बच्चों को पढाया जाये , और बराबर का मौका दिया जाये जिसके वो ना सिर्फ हकदार है अपितु एक सुन्दर समाज के लिए वो बेहद जरुरी है , उनके लिए, हमारे लिए| खैर हमें सिर्फ ये माहौल उन्हें मुहैया ही नहीं कराना है बल्कि ऐसे मानिसिकता वाले पुरानी पीढ़ी से बचना भी है जो बार बार हर मोड पे हमें रोकेंगे, कहेंगे ये गलत है, मौके ढूंडन्गे, मौके बनायंगे| इंसान की मानसिकता बदलनी मुश्किल है , तो कोशिश ये हो नयी पीढ़ी बदली मानसिकता वाली बने|

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