वीर जिसकी थी अलग जिंदगानी,
जब देश के युवाओं का पुरुषार्थ
दम तोड़ रहा था,
८० बसंत देख चुके बाबु कुंवर का कर्तव्य,
उन्हें झकझोर रहा था,
उनकी कहानी उन्ही की जुबानी,
वीर जिसकी थी अलग जिंदगानी|
राजा क्या सुख पाने बने हो
जनता को मरवाने बने हो,
ऐ देशवासियो क्या हम इतने नरम है,
हजारों साल की संस्कृति में क्या इतना ही दम है|
मुट्ठी भर गोरे हमें लूट जा रहे है,
और राजाओ के आत्मस्वाभिमान डूबते जा रहे हैं|
क्या ये प्रजा हमारी नहीं?
क्या महल के बाहर हमारी जिम्मेदारी नहीं|
अंग्रेजो को टुकड़े खा रहे हो ,
आर्यवर्त का नाम डूबा रहे हो,
कुत्ते कहें जाते है ऐसे लोग, राजा नहीं कहलाते है,
स्वाधीनता छोड़ने वाले, महल में रह भी दास हो जाते हैं|
जगदीशपुर वो कमजोर रियाशत नहीं है,
न कमजोर उनका राजा है,
बूढी है हड्डिया मेरी,
लेकिन इन्हें हरा सके,गोरे वो में ताकत नहीं है|
८० साल की उम्र तक
शायद मुझे इसलिए जीना था|
आज इन हरामियो के गलत इरादे और उनके खून के साथ गिराना,
अपना पसीना था|
अगर नहीं साथ मेरे लोग तो क्या हुआ,
इन चमगादडो की फ़ौज के लिए,
एक शेर है आरा का खड़ा|
जगदीशपुर से आरा तक की सुरंग में,
इनकी लाशे क्र्मश: बिछाऊंगा |
चाहे शहीद हो जाऊं लेकिन स्वतंत्र जिया हूँ,
स्वतंत्र ही इस धरा से जाऊंगा|
जानता हूं ये क़ुरबानी,
मेरी व्यर्थ जानी हैं|
गुमनामी में जायेगी मेरी पीड़ी,
यही हमारी कहानी है|
तलवे चाट अंग्रेजो के लोग राजा रह जायंगे,
और ९० साल बाद आजादी पे उनके पूत बिजनेस मैन बन जायंगे|
वही बनगे सांसद विधायक, अंग्रेजो का काम वही बढ़ाएँगे|
खून पीयंगे वो जनता का और शोषण करते जायंगे|
आज मुझे मरवाने पे है जो लगे,
उनके बच्चे मेरी मूर्ति लगाएगें|
हर साल में दो बार माला भी चढ़ाएँगे|
मैं आज खड़ा हूं तब भी खड़ा ही रहूँगा|
खूब गिरंगे ओले पत्थर पर शीश न झुकाउंगा |
नयी पीड़ी से आँख मैं मिलाऊंगा|
जब आँख न झुकाई अब मैंने, न कभी झुकाउंगा|
एक फक्र हमेशा रहेगा,
माँ का वादा पूरा कर जाऊंगा|
चाहे हो जाये कुछ भी मुझे,
भारत माँ का सच्चा सपूत कहलाऊंगा|
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4 टिप्पणियां:
GREAT GREAT NO WORDS.....
वीर कुवर सिंह के लिए एक अच्छा प्रयास ...इसे जरी रखे संदीप कुछ तस्वीर भी डालते रहे ,,,keep it up
Thanks Ravindra Bharti Bhaiya and Panwar ji , Pankaj bhai abhi tak iske uppar gana nahi bana waise vichar accha hai!
जानता हूं ये क़ुरबानी,
मेरी व्यर्थ जानी हैं|
गुमनामी में जायेगी मेरी पीड़ी,
यही हमारी कहानी है|
तलवे चाट अंग्रेजो के लोग राजा रह जायंगे,
और ९० साल बाद आजादी पे उनके पूत बिजनेस मैन बन जायंगे|
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कुछ दिनों पहले मैं एक ऐसे व्यक्ति से मिला जिसके नाम के पीछे चौधरी लगा था जो कि अंग्रेजों की दी हुई पदवी थी उनके पूर्वजों को .... अचम्भित होने की बात ये है कि वो इसे आज भी अपनी शान समझते हैं कि मेरे पर-दादा को अंग्रेजों ने चौधरी की उपाधि दी थे.....
वे इन्ही तलवे चाटने वालों में से थे ...
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