जो छोड़ दिया तो कहते
हैं जो मांगना है मांग लो,
जो मांग लिया तो कहा
देखा कितना है ये मतलबी |
मैंने कही बात अपनी
तो तालिया बजा उठे,
जो खाने बैठे मैं
उनके घर, तो कहा फ़ोकट में खाने आया गया कवि |
देश कि दुर्दशा
दिखाई तो साथ हो चल पड़े सब,
गिरेबाँ में झाँका
उनके तो कहें, मारो इसको नहीं है
ये सही|
मैंने जलाई मशाल तो
सिगरेट जलाने सब आ गए गए,
जब बारिश हुई तो छटक
गए सब कह, जाना हमें सपरिवार है कुल्लू मनाली |
भगत सबको चाहिए, मगर घर पडोसी का हो ,
अपने बेटे बारी आई
तो तो बोला छोड़ ये सब, करनी है तुझे नौकरी|
सतेन्द्र के लाश पे
दिए हमने दीये जला दिए ,
जिस राह पे वो चला
था उसमे नहीं आई अभी तक रौशनी|
जिंदगी चलती रहेगी
यूँ गर सोचो ये ,
क्या इसी का नाम है
जिंदगी ||
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