गुरुवार, 2 अगस्त 2012

मैंने जलाई मशाल तो सिगरेट जलाने सब आ गए गए


जो छोड़ दिया तो कहते हैं जो मांगना है मांग लो,
जो मांग लिया तो कहा देखा कितना है ये मतलबी |
मैंने कही बात अपनी तो  तालिया बजा उठे,
जो खाने बैठे मैं उनके घर, तो कहा फ़ोकट में खाने आया गया कवि |
देश कि दुर्दशा दिखाई  तो साथ हो चल पड़े सब,
गिरेबाँ में झाँका उनके तो कहें, मारो इसको नहीं है ये सही|
मैंने जलाई मशाल तो सिगरेट जलाने सब आ गए गए,
जब बारिश हुई तो छटक गए सब कह, जाना हमें सपरिवार है कुल्लू मनाली  |
भगत सबको चाहिए, मगर घर पडोसी का हो ,
अपने बेटे बारी आई तो तो बोला छोड़ ये सब, करनी है तुझे नौकरी|
सतेन्द्र के लाश पे दिए हमने दीये जला दिए ,
जिस राह पे वो चला था उसमे नहीं आई अभी तक रौशनी|
जिंदगी चलती रहेगी यूँ गर सोचो ये ,
क्या इसी का नाम है जिंदगी  ||

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