Jane Bhi Do Yaaron
जिंदगी कुछ यूँ रही कि मौत बेहतर हो सके, उस मौत के इस इंतज़ार में जीना ही भूल बैठे
गुरुवार, 25 अप्रैल 2013
बस यूँ ही २३
कुछ यूँ ही बिना लक्ष्य के दौड़ते रहते है जाने क्यों
इससे बेहतर तो सदा जिंदगी थमी रहती बस यूँ ही
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