नारी तेरी और होगी कितनी दुर्दशा
तु ही तो है मंथरा और तु ही सूर्पनखा
फिर तु ही देवी सीता क्यों कहलाती
अग्नि परीक्षा भी तुझसे ही क्यों मांगी जाती
तु ही कही जाती है खानदान की आन
फिर अपनी सभा में ही होता द्रौपदी क्यों तेरा अपमान
यूँ तो अबला कह दबाई जाती है
क्यों फिर तुझे शक्ति और काली की पदवी दी जाती है
भ्रूण में मारा , जन्म पर गला घोंटा
और तार तार कर लुटा तेरा बचपन
जवानी में नोंचा और जिन्दा जलाया
और बुढ़ापे में विधवा कह घर से भी भगाया
नारी तेरी यही कहानी है
तु परायी ही पैदा हुई, परायी ही तेरी जिंदगानी है
नारी तु कुलक्षणी तु ही है अभागन
तु ही चंडालन तु ही है डायन
अब भी तु ना समझी और सोचती कि ये दुनिया सुधरेगी
नारी तेरी और होगी कितनी दुर्दशा
तु ही तो है मंथरा और तु ही सूर्पनखा
फिर तु ही देवी सीता क्यों कहलाती
अग्नि परीक्षा भी तुझसे ही क्यों मांगी जाती
तु ही कही जाती है खानदान की आन
फिर अपनी सभा में ही होता द्रौपदी क्यों तेरा अपमान
यूँ तो अबला कह दबाई जाती है
क्यों फिर तुझे शक्ति और काली की पदवी दी जाती है
भ्रूण में मारा , जन्म पर गला घोंटा
और तार तार कर लुटा तेरा बचपन
जवानी में नोंचा और जिन्दा जलाया
और बुढ़ापे में विधवा कह घर से भी भगाया
नारी तेरी यही कहानी है
तु परायी ही पैदा हुई, परायी ही तेरी जिंदगानी है
नारी तु कुलक्षणी तु ही है अभागन
तु ही चंडालन तु ही है डायन
अब भी तु ना समझी और सोचती कि ये दुनिया सुधरेगी
नारी तेरी और होगी कितनी दुर्दशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें