Jane Bhi Do Yaaron
जिंदगी कुछ यूँ रही कि मौत बेहतर हो सके, उस मौत के इस इंतज़ार में जीना ही भूल बैठे
रविवार, 20 जनवरी 2013
बस यूँ ही on 1857 Sepoy Mutiny
जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने संघर्ष कर दिया जीवन बलिदान
उन्हें तो वो चंद सिपाहियों की आवारागर्दी लगी थी
कितनी मुश्किलात में हमने लिखी थी वो पंकितियाँ
उन्हें तो वो बस कागज स्याही की बर्बादी लगी थी
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