ये वो पहली पंक्तियाँ जो मैंने लिखी थी| बात सन 1998 की है| १४ वर्ष से ज्यादा हों गए हैं लेकिन ऐसा लगता है जैसे कल की ही तो बात हो|
"रात भर जागता रहा, सुबह बेचैनी छा गयी,
हाँ तुम वही हों जो नींद मेरी उड़ा गयी |"
"रात भर जागता रहा, सुबह बेचैनी छा गयी,
हाँ तुम वही हों जो नींद मेरी उड़ा गयी |"
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