आओ आज फिर भूल जाये हम सब कुछ|
गर न भूलने से दर्द कम हो जाये किसी का, तो याद हम क्यों करे|
दर्द देने वाले को हम खुश करते, और कोशते हम खुद को रहे|
धीरे धीरे हमें आदत सी हो गयी गम सहने कि, बुजदिल बने हम रहे|
साथी मरे और मरे जाने कितने अजनबी , हम शर्म क्यों करे |
वो अजनबी जो अपने थे अब वो नहीं हैं, हम गम क्यों करे |
आओ आज फिर भूल जाये हम सब कुछ|
गर न भूलने से दर्द कम हो जाये किसी का, तो याद हम क्यों करे|
दर्द देने वाले को हम खुश करते, और कोशते हम खुद को रहे|
धीरे धीरे हमें आदत सी हो गयी गम सहने कि, बुजदिल बने हम रहे|
साथी मरे और मरे जाने कितने अजनबी , हम शर्म क्यों करे |
वो अजनबी जो अपने थे अब वो नहीं हैं, हम गम क्यों करे |
आओ आज फिर भूल जाये हम सब कुछ|
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