Jane Bhi Do Yaaron
जिंदगी कुछ यूँ रही कि मौत बेहतर हो सके, उस मौत के इस इंतज़ार में जीना ही भूल बैठे
शनिवार, 12 अक्तूबर 2013
बस यूँ ही २८
यादें भी अजब मेरे महबूब की, जब आयें तो बेमौसम बारिश साथ लाती है,
अदायें भी गजब उनकी, दिखाएँ तो कभी तूफान तो कभी जलजला ढाती है !
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