Jane Bhi Do Yaaron
जिंदगी कुछ यूँ रही कि मौत बेहतर हो सके, उस मौत के इस इंतज़ार में जीना ही भूल बैठे
रविवार, 2 जून 2013
बस यूँ ही २६
तन्हा वक्त बिताना कुछ खास नापसंद नहीं है मुझे यूँ तो अब
तुम्हारे साथ गुजरी वो शाम रह रह कर याद आती है अकेले में
बस यूँ ही २५
सोचता हूँ, जाने क्यों अब तुम याद नहीं आते कभी भी
किसी ने बताया कि याद आने के लिए भूलना जरुरी है
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